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Wednesday, June 23, 2010

LIFE
















कुछ मंजिले थी,जो भूल गए हम
कुछ सपने थे,जिन्हें भुला दिया
कुछ बातें थी,जिन पर रो बैठे हम
कुछ लम्हे थे,जिन्होंने रुला दिया
इक जिन्दगी थी ,जिसे छोर  चले हम
इक जिंदगानी थी ,जिसे दफना दिया 




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