बाहर शहर की भीड़ है
भीड़ मे कहाँ जायेगा
इस बीहरपन मे जो शांति है
वो शांति और कहाँ पायेगा
चल छोड़ दुसरो से बैर कहाँ है
दुसरो की बातों का क्यूँ गुस्सा गायेगा
आँखों मे अगर नींद न है
थकान को छोड़ प्यार क्यूँ कोसा जायेगा
जो हर इक कस खिचा है
कही धुँआ भी उठायेगा
जिन कर्मो का बीज बोआ है
फल उसका खुद ही तो खायेगा
कुछ लोग अच्छे , कुछ बुरे होते हैं
पर हर बुरे मे कुछ अच्छाई भी दिखेगा
कभी अच्छा ,कभी बुरा होता है
और हर बुरे से कुछ अच्छाई भी पायेगा
आँखों से जो रिश्ता जुड़ा है
दिल उसे कैसे तोड़ पायेगा ...
भीड़ मे कहाँ जायेगा
इस बीहरपन मे जो शांति है
वो शांति और कहाँ पायेगा
चल छोड़ दुसरो से बैर कहाँ है
दुसरो की बातों का क्यूँ गुस्सा गायेगा
आँखों मे अगर नींद न है
थकान को छोड़ प्यार क्यूँ कोसा जायेगा
जो हर इक कस खिचा है
कही धुँआ भी उठायेगा
जिन कर्मो का बीज बोआ है
फल उसका खुद ही तो खायेगा
कुछ लोग अच्छे , कुछ बुरे होते हैं
पर हर बुरे मे कुछ अच्छाई भी दिखेगा
कभी अच्छा ,कभी बुरा होता है
और हर बुरे से कुछ अच्छाई भी पायेगा
आँखों से जो रिश्ता जुड़ा है
दिल उसे कैसे तोड़ पायेगा ...