सच तो ये है इस दिल मे तुम्हारी जगह न थी कभी
होठों पे नाम था पर आँखों मे नमी न थी कभी |
कितनी रातों को नींद आने से पहले याद तो किया तुम्हे
पर नींद मे खोने क बाद, उन सपनो मे तुम्हारी जगह न थी कभी |
नशे मे तो हमेशा तेरे प्यार का नशा ही छाया
पर बिन मदिरा के क्यू तुम्हे कभी आवाज़ न लगाया |
यूँ तो तुमसे बात करने पर घबरा जाता हूँ हरवक्त
पर क्यू हरवक्त बात करने की इच्छा होती है कभी-कभी |
इक उम्मीद तो हमेशा तुम्हारे लिखे शब्द मुझमे जगाते है
पर क्यू ये हरवक्त गैरों के लिए संबोधित नज़र आते हैं |
Thursday, January 21, 2010
MADHOSHI
Posted by RISHAV-VERMA......... at 11:54 AM 0 comments
Friday, January 15, 2010
मैंने ना सोचा था इन आँखों मे कभी आंसू होंगे
पर इन बूंदों ने कुछ सच तो बताया !!
मैंने ना सोचा था तुम्हे याद करना मेरी फितरत बन जाएगी
पर इन यादों ने इक प्यार का अहसास तो कराया !!
जब कभी ख़ामोशी या महफ़िल मैं खुद को तन्हा सा पाया
उस पुरानी डायरी से तुम्हारी तस्वीर निकलने का इक मौका तो पाया !!
तुम्हारी यादो ने कभी मेरा साथ न छोरा
यूँ ही उस चेहरे को याद करने का इक बहाना तो बताया !!
Posted by RISHAV-VERMA......... at 9:30 AM 2 comments
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